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श्रीमद्भगवद्गीता का सार – Geeta Saar in Hindi
श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्धक्षेत्र में उपदेश दिया। यह ज्ञान न केवल अर्जुन के लिए था, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए जीवन का मार्गदर्शन है।
📜 गीता का मुख्य सार:
1️⃣ कर्मयोग – कर्म करो, फल की चिंता मत करो
➡ श्लोक (२.४७)
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥”
👉 अर्थ: मनुष्य को केवल कर्म करने का अधिकार है, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। निष्काम कर्म ही श्रेष्ठ मार्ग है।
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एक भारतीय किसान को भगवान श्रीकृष्ण के साथ दर्शाता है, जहाँ श्रीकृष्ण अपनी दिव्य आभा के साथ किसान का मार्गदर्शन और आशीर्वाद दे रहे हैं। यह कर्मयोग और भक्तिभाव का सुंदर प्रतीक है।
2️⃣ आत्मा अमर है, शरीर नश्वर है
➡ श्लोक (२.२३)
“नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥”
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एक ध्यानमग्न व्यक्ति को दर्शाता है, जो दिव्य प्रकाश से घिरा हुआ है, और भगवान श्रीकृष्ण उसके पास खड़े होकर उसे आशीर्वाद दे रहे हैं। यह आत्मा के अमरत्व और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है।
👉 अर्थ: आत्मा को न कोई शस्त्र काट सकता है, न अग्नि जला सकती है, न जल गीला कर सकता है और न वायु सुखा सकती है।
3️⃣ श्रीकृष्ण का दिव्य वचन – जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब मैं आता हूँ
➡ श्लोक (४.७-८)
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥”
👉 अर्थ: जब-जब अधर्म बढ़ता है और धर्म का पतन होता है, तब मैं अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करता हूँ।
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भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य अवतार को दर्शाता है, जो अधर्म के नाश और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतरित हुए हैं। उनका सुदर्शन चक्र न्याय और सत्य का प्रतीक है, और उनके चारों ओर दिव्य प्रकाश और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रभाव दिखाई देता है।
4️⃣ भक्तियोग – भगवान की शरण में जाने से मुक्ति मिलती है
➡ श्लोक (१८.६६)
“सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥”
👉 अर्थ: सभी धर्मों (कर्तव्यों) को त्यागकर मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा, तुम शोक मत करो।
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यह चित्र भगवान श्रीकृष्ण को भगवद गीता धारण किए हुए दिखाता है, जहाँ भक्तगण गीता को पढ़ और समझ रहे हैं। उनके चारों ओर दिव्य प्रकाश फैला हुआ है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन के सही मार्ग को दर्शाता है।
“गीता पढ़ें, गीता समझें, और गीता के अनुसार जीवन जिएं!”
🔹 निष्कर्ष
श्रीमद्भगवद्गीता हमें कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में हमें निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए, अपने अहंकार को त्यागना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में लीन रहना चाहिए।
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भगवद गीता के सार (Gita Saar) को दर्शाता है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण दिव्य प्रकाश के साथ अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं। पृष्ठभूमि में आध्यात्मिक ऊर्जा फैली हुई है, जो कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के महत्व को दर्शाती है।
“गीता का ज्ञान शाश्वत है – इसे पढ़ें, समझें और जीवन में अपनाएँ!”
🙏 “गीता पढ़ें, गीता समझें, और गीता के अनुसार जीवन जिएं!”
महाभारत का महाविनाशक युद्ध होने वाला था। बड़े-बड़े युद्धा इस युद्ध में भाग ले रहे थे। अर्जुन भी योद्ध करने को तैयार थे। लेकिन जब अर्जुन युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र में पहुंचे तो चारों तरफ उनको अपने ही अपने दिखाई देने लगे। वे सोचने लगे कि मैं युद्ध किनसे करुं। चारों तरफ मेरे अपने भाई, दोस्त, चाचा ,बहनोई, गुरु और पितामह हैं।
भला सिंहासन के लिए अपने ही भाईयों को मारने से अच्छा तो मैं जंगल में रहना पसंद करूंगा। जरुरी तो नहीं है कि हमें हस्तिनापुर का सिंहासन मिलेगा तभी हम जीवित रहेंगे। रह लेंगे आम आदमी बनकर लेकिन सिंहासन के लिए अपने ही भाई को नहीं मारेंगे। और भी उनके मन में सवाल उठ रहे थे।
यहीं सब सोचते-सोचते उसका धनुष सरका जा रहा था। और धनुष गिर गया।
तब जाके भगवान shree Krishna ने संभाला और geeta shlok के माध्यम समझाया। हम आज उसी Geeta (geeta ka saar) को कुछ line के द्रारा समझने का प्रयास करेंगे।
Contents
bhagwat geeta saar : संपूर्ण भगवत गीता के सार 8 लाईन में अर्थ के साथ समझे
1. तुम फालतु में क्यों परेशान हो रहे हों। तुम किससे डर लगता हैं। तुम्हें कोई नहीं मार सकता हैं। आत्मा ना जन्म लेती हैं, ना ही कभी मरती हैं।
अर्थ:–> जब कुरूक्षेत्र के मैदान में अर्जुन अपने ही लोगों को मारने से डर गये थे। तो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा तुम क्यों डर और परेशान हो रहे हो। तुम किसके लिए डर रहे हो, तुम जिन्हें अपना समझ रहे हो, क्या पता है कि वे तुम्हारे पिछले जन्म में कौन थे?
और वैसे भी आत्मा ना जन्म लेती हैं और ना ही वह मरती हैं। ना उसे दुःख होता हैं ना ही खुशी।
2. जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा हैं। जो होगा वह भी अच्छा होगा। तुम बिते समय का अफसोस मत करों, आने वाले समय की चिंता मत करों, तुम अभी में जीवों।
अर्थ:–> जब अर्जुन को समझ नहीं आ रहा था। तो bhagwan shri krishna ने कहा कि तुम अच्छा बुरा समय की परवाह मत करों। बीते हुए समय पर अफसोस मत करो। आने वाले समय के लिए चिंता मत करो। तुम आज के लिए सोचो, जो करना है अभी करो। और आज की परवाह करो।
bhagwat geeta saar in hindi with image
3. तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो कुछ दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
अर्थ:–> हे अर्जुन जब तुम इस दुनिया में आये थें। और खाली हाथ ही चले जाओगे। तो फिर ये मेरा हैं, वह तुम्हारा है। अपना पराया क्यों समझते हो? सभी को अपना समझो और सभी से प्यार करो।
4. जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
अर्थ:–> जिस चीज़ को तुम अपना समझते हो वह पहले किसी और का था। कुछ समय बाद किसी और का होगा। जब वह किसी दुसरे का होगा तो तुम दुखी होगें।
Bhagavad gita saar : संपूर्ण भगवत गीता के सार
5. परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
अर्थ:–> भगवान ने संसार को इसी प्रकार बनाया है कि सब कुछ समय के साथ बदलते रहे। इसलिए परिवर्तन संसार का नियम है। इसलिए जब समय बदले तो तुम दुखी मत होना।
6. न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा, परंतु आत्मा स्थिर है।
अर्थ:–> भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ये शरीर 5 तत्वों से मिलकर बना है। जब तुम मरोगे। इसी पाँच तत्वों में मिल जाओगे। लेकिन तुम्हारा आत्म नहीं मरेगी। वह फिर से भगवान के द्रारा किसी दुसरे शरीर में भेज दिया जायेगा। जिससे तुम्हारा फिर से जन्म और मरना होगा। ये तब तक चलेगा, तब तक तुम मौक्ष की प्राप्ति नहीं कर लेते।
Popular shrimad bhagwat geeta saar with meaning in Hindi
7. जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवनमुक्त का आनंद अनुभव करेंगा।
अर्थ:–> god shree Krishna ने Arjun से कहा तुम जो कुछ भी करो, उसे मुझे अर्पण करते जावो। इससे तुम जब तक इस धरती पर रहोगें, हमेशा ख़ुश रहोगे। और तुम्हारा कल्याण होगा।
8. जो कोई भी सुख दुःख से आगे जाना चाहता है, उसे वहीं करना चाहिए, जो मैं चहता हूँ।
अर्थ:–> हे अर्जुन जो कोई भी भय, चिंता और शोक से हमेंशा मुक्त होना चाहिए हैं। उसको भगवान यानी मुझको अर्पित करना चाहिए। यहीं एक रास्ता है जिससे उसका कल्याण होगा।