Views of Guru Rajneesh Rishi on Upcoming Jwalamukhi Yog

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ज्वालामुखी योग किस तिथि और नक्षत्र से बनता है

  • प्रतिपदा तिथि (पहला दिन) मूल नक्षत्र (धनु राशि) के दिन आती है।
  • पंचमी तिथि (पांचवा दिन) भरणी नक्षत्र (मेष राशि ) के दिन पड़ती है।
  • अष्टमी तिथि (आठवां दिन ) कृतिका नक्षत्र (मेष या वृष राशि) के दिन पड़ती है।
  • नवमी तिथि ( नौवां दिन )रोहिणी नक्षत्र ( वृष राशि ) के दिन पड़ती है।
  • यदि दशमी तिथि (दसवां दिन) आश्लेषा नक्षत्र ( कर्क राशि ) के दिन पड़ती है।

ज्वालमुखी योग कैसे बनता है

यह योग एक चंद्र मास में दो बार या लगातार दो दिनों में अर्थात लगातार दो तिथियों और दो लगातार दो नक्षत्रों पर हो सकता है ।

1. जब किसी भी महीने की अष्टमी तिथि ( आठवां दिन ),कृतिका नक्षत्र ( तीसरा नक्षत्र) के साथ मेल खाती है।

2. जब किसी महीने की नवमी तिथि ( नौवां दिन ), रोहिणी नक्षत्र ( चौथा नक्षत्र ) के साथ मेल खाती है ।

ज्वालामुखी योग के सामान्य प्रभाव क्या हैं ?

  1. यह योग अशुभ होता है अगर आपकी कुंडली में यह योग है , तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है ।
  2. अगर ज्वालामुखी योग में लड़का लड़की का विवाह हो तो इसमें कई समस्या होने लगती है ।
  3. इस योग में आप कोई भी नया काम शुरू करेंगे तो वह बिल्कुल नहीं चलेगा।
  4. इस योग में कोई बीमारी होती है ,तो वह लंबे समय तक चलती है इसका इलाज नहीं मिलता।
  5. इस योग में आप जो कुछ भी करते हैं वह पूरा नहीं हो सकता।
  6. कई प्राचीन ग्रंथो में भी इस योग का जिक्र मिलता है।
  7. यदि यह योग किसी भी समय कुंडली में हो ,तो कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चहिए।

ज्वालमुखी योग में क्या नहीं करना चहिए

1.इस योग में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा न करें।

2. नया घर, कुआं न खोदे, नए घर की नींव बिलकुल न रखें।

3. इस योग में गर्भ धारण नहीं करना चाहिए न कि बच्चें का जन्म होना चाहिए।

4. शादी या सगाई को इस योग में बिल्कुल नहीं करने चहिए।

5. कोई भी शुभ कार्य , वाहन खरीदना, गहने खरीदना नही करना चाहिए।

6. इस अवधि में होने वाली किसी भी अच्छी घटना के लिए यह अशुभ योग है।

7. ज्वालामुखी योग काल का प्रयोग केवल अपने श शत्रु को परास्त करने या युद्ध प्रारंभ करने के लिए किया जाता है।

8. यह योग आपके शत्रु या किसी भी आधार पर आप का विरोध करने वालों के विरुद्ध सफलता प्रदान करता है।

9. कुंडली में मौजूद सभी कारकों को सावधानीपूर्वक पढ़ने और विश्लेषण करने के बाद ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए।

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